Durga Chalisa

Tuesday, May 20, 2025

॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥

दोहा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

चौपाई

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम हीन निराकार, तुम्ही जगत जननी॥

शंकराचार्य तुम्हे सदा पुकारे।
नंदी के संग तुम्हारा वास॥
मनोरथ जो कोई मन लाए।
सोई मनोरथ तुमसे पाए॥

जो कोई नर तुम्हें ध्याता।
हृदय दुख संकट हरता॥
जो भी सुमिरे नाम तुम्हारा।
यश तेज हो उसका प्यारा॥

देवी तुम भवसागर तारा।
तुम बिन आश्रय कोई ना सहारा॥
तुम हो जगत की पालनहारी।
तुम ही दीन दुखों की प्यारी॥

रक्षक बनके संकट हरने वाली।
तुम जग के कर्म विधाता नारी॥
दुखियारी का सहारा मैया।
त्रिलोक में पूजा करे तुम्हारा॥

शेर सवारी देवी प्यारी।
सिंह वाहिनी रूप बलिहारी॥
रक्त बीज असुर जो आया।
तुमने मार उसे भगाया॥

महिषासुर जो जग पर भारी।
तुमने मारा व्रत कर सारी॥
त्रिदेव भी स्तुति गाएं।
देवी सदा भक्ति लुटाएं॥

तुम हो अम्बे, अनंत स्वरूपा।
दुष्ट नाशिनी, मंगल रूपा॥
चंडी रूप धारी, दुर्गति नाशा।
सद्गति दाता सुख प्रकाशा॥

प्रणत जनों का उद्धार करती।
भक्त वत्सला दुख हरती॥
सदा सहाय दुर्गा भवानी।
तुम ही करुणा, तुम ही दानी॥

जो भी तेरा नाम पुकारे।
तुम हो संकट हरने वाली प्यारे॥
दीन दुखी का दर्द मिटाओ।
अमृत का अनुभव सिखाओ॥

सर्व शक्तियों की तुम अधिकारी।
तुम ही हो जग में सबसे न्यारी॥
जय मां दुर्गा त्रिनयन धारी।
हर संकट हरने वाली बलिहारी॥

दोहा
जो भी पाठ करे चालीसा।
पावे मां का स्नेह अनंत धनीसा॥


 

Shopping Cart

Offering Cart