Bhairav Chalisa

Tuesday, May 20, 2025

भैरव चालीसा

(भगवान भैरव जी की स्तुति में रचित)

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुत, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, ध्यान धरहु श्री ध्यान।।

चौपाई
जय भैरव जय महाभैरवी,
जय महा रुद्र शिव तनु धारी।
तेरो नाम भक्त जन गावत,
दुःख दरिद्र सब हरन मिटावत।

काल भैरव भव दुःख हारी,
तू ही ब्रह्मा विष्णु अवतारी।
यम के हैं तू काल महाकाल,
शत्रुन को तू सब कर डाल।

जिस पर हो तेरी कृपा दृष्टि,
उस पर प्रेम सदा तू रखसी।
तेरो क्रोध सभी को खाए,
प्रलय काल सभी घबराए।

काल रात्रि तेरी छवि भारी,
मुक्ति दायक सब दुःख हारी।
भूत प्रेत सभी नाच नचावे,
तन मन से भक्त हमेशा गावे।

शिव शंकर के रूप महाने,
तेरी स्तुति करे सब जाने।
मुक्ति का पथ सभी को दिखावे,
जो तू भक्त उसका दुःख मिटावे।

मंत्र तेरा जाप सुहावे,
जो करे वो सधाई पावे।
भैरव चालीसा जो गावे,
सभी दुःख दरिद्र मिटावे।

दोहा
अयोध्या दास हमेशा कहे,
भैरव चरण शरण जो रहे।
सिद्धि, समृद्धि और सुख पाए,
भैरव जी कृपा बरसाए।।


 

Shopping Cart

Offering Cart